1932 based domicile bill: राज्यपाल रमेश बैस ने 1932 के खतियान आधारित आधारित स्थानीयता विधेयक (1932 based domicile bill) को राज्य सरकार को लौटा दिया। उन्होंने कहा कि एक विशेष प्रावधान के तहत रोजगार की शर्तें लागू करने की शक्तियां संसद के पास हैं न कि राज्य विधानमंडल के पास। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसलों का भी हवाला दिया, बिल की वैधता पर सवाल उठाए और इसे समीक्षा के लिए वापस भेज दिया।
बता दें कि 11 नवंबर को इस बिल को काउंसिल ने मंजूरी दे दी थी। राज्यपाल की ओर से कहा गया कि विधेयक की समीक्षा के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 में रोजगार के क्षेत्र में सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं.
राज्यपाल ने कहा कि सरकार को विधेयक को संविधान और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के अनुरूप लाने के लिए उसकी वैधता की समीक्षा करनी चाहिए। इस अधिनियम के अनुसार, एक स्थानीय व्यक्ति का अर्थ झारखंड में रहने वाले व्यक्ति से है जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमाओं के भीतर रहता है और जिसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज है। राज्य में वर्ग 3 एवं 4 में नियुक्ति हेतु केवल यहां वर्णित स्थानीय व्यक्ति ही पात्र होंगे।