Startup Jharkhand Initiative: झारखंड, जो अपने प्राकृतिक संसाधनों और औद्योगिक धरोहर के लिए जाना जाता है, एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में अग्रसर है। राज्य सरकार ने झारखंड स्टार्टअप नीति 2023 लागू कर 2028 तक 1000 स्टार्टअप्स स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, सरकारी प्रयासों की धीमी प्रगति और प्रशासनिक बाधाओं के कारण यह पहल अपेक्षित परिणाम देने में विफल रही है। इसके विपरीत, “स्टार्टअप झारखंड” (startupjharkhand.org) जैसी गैर-सरकारी पहल राज्य में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में कहीं अधिक प्रभावी साबित हो रही है।
सरकार की पहल: झारखंड स्टार्टअप नीति 2023
झारखंड सरकार ने नई स्टार्टअप नीति के तहत कई योजनाएं शुरू की हैं:
- वित्तीय सहायता: ₹10,000 से ₹25,000 मासिक भत्ता और ₹15 लाख तक की आर्थिक मदद।
- कर छूट: चयनित स्टार्टअप्स को पांच वर्षों तक टैक्स छूट।
- इनक्यूबेशन और मार्गदर्शन: अटल बिहारी वाजपेयी इनोवेशन लैब (ABVIL) के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन।
- सिंगल विंडो क्लीयरेंस: सभी प्रक्रियाओं को सरल बनाने का प्रयास।
हालांकि, इन योजनाओं का क्रियान्वयन धीमा रहा है। ब्यूरोक्रेटिक जटिलताओं, निवेश की कमी, और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव ने झारखंड के स्टार्टअप इकोसिस्टम को कमजोर किया है।
गैर-सरकारी पहल: स्टार्टअप झारखंड (StartupJharkhand.org)
इसके विपरीत, स्टार्टअप झारखंड, एक गैर-सरकारी सामुदायिक मंच है जो उद्यमियों द्वारा संचालित है। यह मंच झारखंड में नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इसके प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:

- नेटवर्किंग और मार्गदर्शन: उद्यमियों को निवेशकों और विशेषज्ञों से जोड़ना।
- वित्तीय सहायता: सीड फंडिंग और वेंचर कैपिटल तक पहुंच प्रदान करना।
- इनक्यूबेशन प्रोग्राम्स: व्यवसाय मॉडल सुधार और रणनीतिक सलाह देना।
- ब्रांड दृश्यता बढ़ाना: मीडिया एक्सपोज़र और मार्केटिंग रणनीतियों के माध्यम से स्टार्टअप्स की पहचान मजबूत करना।

स्टार्टअप झारखंड ने राज्य में कई सफल उद्यमियों को प्रेरित किया है और एक सक्रिय इकोसिस्टम तैयार किया है। यह मंच न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन कर रहा है बल्कि नवाचार को भी बढ़ावा दे रहा है।
सरकार बनाम गैर-सरकारी प्रयास: कहाँ पिछड़ रही है सरकार?
- क्रियान्वयन में देरी: सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन धीमा रहा है, जबकि स्टार्टअप झारखंड ने तेज़ी से परिणाम दिखाए हैं।
- प्रभावी नेतृत्व की कमी: सरकारी संस्थानों जैसे ABVIL का संचालन प्रभावी नहीं रहा, जबकि स्टार्टअप झारखंड ने सामुदायिक नेतृत्व के माध्यम से बेहतर परिणाम दिए हैं।
- निवेश की कमी: सरकारी योजनाओं में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए हैं।
स्टार्टअप इकोसिस्टम का भविष्य
झारखंड सरकार को अपनी नीतियों का क्रियान्वयन तेज करने और गैर-सरकारी संगठनों जैसे स्टार्टअप झारखंड के साथ साझेदारी करने की आवश्यकता है। यदि सरकार अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करती है और सामुदायिक मंचों का समर्थन करती है, तो झारखंड पूर्वी भारत का प्रमुख स्टार्टअप हब बन सकता है। जहाँ सरकार अपनी नीतियों के क्रियान्वयन में पिछड़ रही है, वहीं गैर-सरकारी पहल जैसे “स्टार्टअप झारखंड” (startupjharkhand.org) राज्य में उद्यमशीलता को नई ऊँचाइयों पर ले जा रही हैं। यह सामुदायिक मंच न केवल स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बना रहा है बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।