BJP’s face in Jharkhand election: कर्नाटक में बीजेपी( BJP) की हार से झारखंड भी बेअसर नहीं है. डबल इंजन का नारा कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश से पहले झारखंड में ही फीका पड़ा था. यहां ताबड़तोड़ अभियान के बाद भी सत्ता में बीजेपी की वापसी नहीं हुई थी.
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी( PM Modi) का सूत्र वाक्य’ लोकल फॉर वोकल’ स्थानीय उत्पाद को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का वचन, स्थानीयों को महत्व देने का वादा ये सब बेअसर रहा. दरअसल, बात जब राजनीतिक क्षेत्र की हो तो बीजेपी इस मंत्र को भूलने लगती है. वह संगठन और विचारधारा को आगे करती है और नेताओं को इसके पीछे रखती है. ऐसे में यह प्रयोग कहीं सफल तो कहीं विफल होता है.
बीजेपी भी मानती है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनकी भाषा में जवाब देने वाला उनका नेता स्थानीय होना चाहिए, पर वह सीधे तौर पर न तो इसे स्वीकारती है और न ही इसे नकारती ही है. ऐसे में झारखंड बीजेपी के सामने यह प्रश्न है कि विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही चेहरा होंगे या किसी लोकल नेता को पार्टी आगे कर उसे वोकल करेगी. वैसे पार्टी के नेता कहते हैं कि झामुमो को हराने के लिए ईडी का खुलासा ही काफी है.
दरअसल, इन सब सवालों पर चर्चा करने लिए 16 मई को प्रदेश बीजेपी की पूरी कार्यसमिति एक दिन के लिए बैठक करेगी. इसमें प्रदेश पदाधिकारियों के अलावा कार्यसमिति के सभी सदस्य, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, सभी मोचों के पदाधिकारी आदि शामिल रहेंगे. (BJP’s face in Jharkhand election)