Governor on Jharkhand government: झारखंड के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने इस बात पर जोर दिया कि देश का संविधान राज्य सरकारों की सनक से संचालित नहीं हो सकता। जब राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच संघर्ष के बारे में सवाल किया गया, तो राज्यपाल राधाकृष्णन ने गर्व से कहा कि सत्ता की एक महीन रेखा होती है, जिसे किसी को भी पार नहीं करना चाहिए। उन्होंने अपना विश्वास व्यक्त किया कि राज्य सरकारों को राज्यपाल की दया पर भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि यह भी कहा कि राज्य सरकारों के कार्यों से देश का संविधान निर्धारित नहीं किया जा सकता है। अगर राज्य सरकारें हद पार करती हैं तो राज्यपाल को कदम उठाने पड़ते हैं।
दरअसल राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने अंग्रेजी समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक विशेष साक्षात्कार में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पेश किए गए आरक्षण बिल, मुख्यमंत्री हेमंत से जुड़े खनन पट्टों के मुद्दे और उनके बीच संभावित संघर्ष पर चर्चा करते हुए अपने विचार खुलकर और निडरता से साझा किए। Governor on Jharkhand government()
सीएम हेमंत के खनन पट्टा लीज पर लेंगे फैसला (Governor on Jharkhand government)
खनन पट्टा लीज मामले में चुनाव आयोग के लिफाफे पर राजभवन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिए जाने पर सीपी राधाकृष्णन ने अपनी पहली प्राथमिकता के रूप में राज्य के विकास को उठाया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के मुद्दे पर वे अभी विचार नहीं किए हैं। यह फैसला उचित समय पर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्ववर्ती राज्यपाल द्वारा कानूनी राय लेने की वजह से थोड़ी देरी हुई है, लेकिन उनके विचार में यह कोई असामान्य देरी नहीं है। उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें देखने का मौका नहीं मिला है कि कानूनी राय क्या है। सही समय पर इसका निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने राजभवन की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकारा और कहा कि वह राज्य सरकार को आवश्यकता अनुसार प्रतिक्रिया देंगे। टकराव की कोई बात नहीं है। (Governor on Jharkhand government)