आदिवासी व क्षेत्रीय फिल्में : नयी आवाज व सौंदर्यबोध विषय पर अनुज लुगुन ने युवा फिल्कार निरंजन कुजूर, पुरुषोत्तम कुमार और अभिनेता अनुराग लुगुन से चर्चा की. निरंजन ने कहा कि हिंदी सिनेमा के बड़े पर्दे पर आदिवासियों को गरीब और मजदूर के रूप में पेश किया गया है. यहीं कारण है कि क्षेत्रीय विषयों पर बनने वाली फिल्मों के लिए दर्शक नहीं जुटते. पुरुषोत्तम कुमार ने कहा : क्षेत्रीय फिल्में समाज की जरूरत और उनके मुद्दे पर आधारित होती हैं. इसमें दर्शकों को बांधे रखना चुनौती है. वहीं, अनुराग लुगुन ने कहा कि क्षेत्रीय फिल्म के अभिनेता प्रशिक्षित नहीं हैं. निरंजन ने कहा कि क्षेत्रीय फिल्में बड़े फिल्म महोत्सव में जगह बना रही हैं. भाषा की बाधा खत्म हुई है.
