Ramesh Bais vs Hemant Soren: झारखंड में 10वें राज्यपाल के तौर पर रमेश बैस का कार्यकाल करीब 19 महीने का रहा. श्री बैस को द्रौपदी मुरमा के स्थान पर झारखंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना 7 जुलाई 2021 को जारी की गई थी, लेकिन उन्हें 14 जुलाई 2021 को शपथ दिलाई गई थी. राज्यपाल श्री बैस की नियुक्ति के बाद से ही राजभवन और हेमंत सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. टीएसी के नियमों में बदलाव कर राज्यपाल के अधिकारों को समाप्त करने को लेकर सबसे पहले हेमंत सरकार से टकराव की स्थिति बनी.
सबसे ज्यादा चर्चा हेमंत सोरेन की विधानसभा में खनन पट्टा आवंटन पर चुनाव आयोग की राय की रही. यह मंजिल अभी भी गुप्त है और वह झारखंड छोड़कर जा रहे हैं. हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन के मामले में भी चुनाव आयोग की राय सार्वजनिक नहीं की गई. बीजेपी विधायक समरीलाल की जाति से जुड़े एक मामले पर भी राजभवन चर्चा कर रहा है.
पिछली बार बिना मंजूरी लौटाए वित्त विधेयक हेमंत सोरेन सरकार द्वारा राजभवन भेजे गए कई विधेयकों को विधानसभा से पारित होने के बाद राज्यपाल ने वापस कर दिया. राज्यपाल ने आखिरकार तीसरी बार ‘झारखंड वित्त विधेयक-2022’ लौटाया. राज्यपाल ने ‘1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक’ को भी बिना स्वीकृति के वापस कर दिया.
इसके अलावा, राज्यपाल ने “भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण (मॉब लिंचिंग) विधेयक” और “उत्पाद नीति से संबंधित विधेयक” भी वापस कर दिया। पदोन्नति समेत ओबीसी आरक्षण कानून समेत कई विधेयकों पर अटॉर्नी जनरल से उनकी राय मांगी गई है।
Hemant Government is fraud