पुरानी साहिबगंज कुम्हारटोली में स्थित अर्बन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के पास बसे 60 वर्षीय यशोदा देवी अज्ञात दूर में ढलते शाम के संग-संगिन पर बेटे नकुल उर्फ भीम की प्रतीक्षा कर रही हैं। पथराई आंखों से वह अपने पुत्र की आस को देखने की कोशिश करती हैं। जीवन की कठिनाइयों से उसकी आंखों से लगातार धारा बहती है। हर बार, जब कोई दरवाजे के पास आता है, यशोदा देवी को लगता है कि उसका पुत्र लौट आया है। परंतु उसे हमेशा निराशा का आभास होता है। फिर भी, इस निराशापूर्ण स्थिति में, यशोदा देवी की कहानी उनके अटुट प्यार और सहज संघर्ष की गवाही साबित होती है। (Odisha train accident)
वीडियो कॉल पर आखिरी बार: पत्नी के साथ एक अद्वितीय संवाद (Odisha train accident)
पत्नी प्रेमलता देवी के साथ कोलकाता में कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर करने से पहले, मैंने वीडियो कॉल करके उनसे बात की थी। हमने इस बात पर चर्चा की थी कि हमारे बच्चों के साथ-साथ माता-पिता का भी ख्याल रखना बहुत महत्वपूर्ण है। नकुल ने मुझे सुझाव दिया था कि उन्हें किसी से चार सौ रुपया ले लेना चाहिए, जो हमें उनके लिए खर्च करने के लिए मदद कर सकता है। हमने इसके बाद यह भी बातचीत की थी कि जब मैं काम पर जाऊंगा और पैसे मिलेंगे, तो मैं उन्हें भेज दूंगा।नकुल चौधरी के तीन बच्चे हैं। उनमें से एक बेटी है, जो तीन साल की है। फिर उनका एक बेटा है, जिसकी उम्र दो साल है, और उनकी और एक बेटी है, जो छह महीने की है। (Odisha train accident)